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धरती पर जितने मनुष्य हैं उससे लगभग 2.5 गुणा #जल में रहने बाले जीव चाहीए, 5 गुणा पेड़-पौधे, 3 गुणा कीड़े-मकोड़े, लगभग 3 गुणा पक्षी, और 7 गुणा पशु होने चाहीऐ तभी प्रकृति संतुलित रहेगी!
किंतु आज का मानव #पशुओं को काट-2 खा गया, पेड़-पौधों को विकास की भैंट चढ़ा दिया, जल में रहने बाले जीवों को भी खा गया कुछ नदियां-तालाब प्रदुषित होने से खत्म हो रहे, #पक्षी भी विकास की भैंट चढ़ रहे अब बच गये कीड़े-मकोड़े तो अब उनको भी खाना आरम्भ कर दिया है!
और अब पशुओं, #पंछियों, कीड़े-मकोड़ों की खेती कर रहा है क्योंकी प्राकृतिक तौर पर उतने हो नी पा रहे तो मछली पालन कर रहा, #कीट पालन कर रहा, #मुर्गी पालन कर रहा ताकी #मांस की आपूर्ति हो सके!
इससे अधिक प्राकृतिक #असंतुलन क्या हो सकता है और इस #असंतुलन के उत्तरदायी स्वयं को मानव समझने बाले हम दौ पैरों बाले पशु ही हैं!
अब समय आ चुका है की अनियंत्रित हो चुकि भोगवादी #मानव की बढ़ती आवादी पर अंकुश लगे और वो मात्र और मात्र परम चेतना ही लगा सकती है!
धन्यवाद🙏